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मातृ पितृ पूजन दिवस/parent's worship day (१४ फरवरी)

        देश में रहते हैं उसी की बात करूंगा, भारत में रहता हूं भारत की बात करूंगा।

        प्राचीन काल से हमारे देश में सनातन संस्कृति की धारा निरंतर बहती आ रही है, जिससे हमें संस्कार और एक बेहतर जीवन की प्राप्ति होती है। जैसे-जैसे हम आधुनिकता के दौर में आगे बढ़ रहे हैं वैसे वैसे हम हमारी सनातन संस्कृति एवं संस्कारों को पीछे छोड़ रहे हैं , और इसी कारण आज का मनुष्य सुखी एवं समाधानी नहीं है।

        ऐसा नहीं है कि संस्कार देने वाले या संस्कार लेने वाले समाप्त हो गए हो ,आज भी ऐसे लोग हैं जो हमारे बच्चों को और हमें अच्छे संस्कार देते हैं। आप अपने बच्चों को बचपन में कैसे संस्कार देते हैं उसके ऊपर निर्भर करता है कि वह बड़ा होकर कैसा बनेगा, इसीलिए तो कहते हैं कि बच्चों का भविष्य मां-बाप के हाथों में होता है।

         जैसे अगर देश में कोई वायरस फैल जाए, कोई बीमारी फैल जाए तो वह देश को बर्बाद करके छोड़ देती है वैसे ही अगर देश में कोई बुरा विचार फैल जाए तो वह भी देश को बर्बाद करके छोड़ता है। इस देश में इतने अपराध क्यों बढ़ गए पता है क्योंकि हमारी युवाओं की मानसिकता बदल गई ,उनके विचार करने का ढंग बदल गया। इस बात पर मैं ज्यादा ना कहूं तो ही अच्छा है क्योंकि आप सबको पता है कि आजकल इस देश में क्या हो रहा है।

            तो मैं बात कर रहा था वायरस की की को पूरे देश को बर्बाद करने की ताकत रखता है। ऐसा ही एक वायरस हमारे देश में बुरी तरह से फैल रहा है, वो है वैलेंटाइन डे (१४ फरवरी)।

            मेरा वैलेंटाइन डे को कतई विरोध नहीं है पर मैं एक बात पूछना चाहूंगा प्यार सिर्फ एक ही दिन क्यों ? हर दिन क्यों नहीं? और सिर्फ गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड में ही प्यार होता है,क्या भाई बहनों में प्यार नहीं हो सकता ? क्या मां-बाप में और बच्चों में प्यार नहीं हो सकता? पर नहीं इनको तो सिर्फ गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड वालों को ही प्रमोट करना है तभी तो ना यह भारतीय संस्कृति खत्म होगी, तभी तो ना हमारे देश का युवा बिगड़ेगा। लोगों ने प्यार का मतलब ही बदल दिया है, प्यार जैसे पवित्र शब्द को वैलेंटाइन डे ने बदनाम किया है। वैलेंटाइन डे यह हमारी भारतीय संस्कृति नहीं है, यह मूलतः पाश्चात्य देशों में मनाया जाता है। जिस दिन लड़के लड़कियों को गुलाब का फूल देकर अपने प्यार का इजहार करते हैं, इन्हें अपना प्यार सिर्फ एक ही दिन याद आता है और इनका हर साल का प्यार बदलता जाता है,पहले साल पहेली के साथ, दूसरा साल दूसरी के साथ, तीसरा साल तीसरी के साथ ऐसे यह वैलेंटाइन डे मनाते हैं। यह हंसने वाली बात नहीं है, के विचार करने वाली बात है।

          भारत में जब तक सनातन संस्कृति जीवित है तब तक भारत भारत है, जब भारत से सनातन संस्कृति मिट गई तब भारत को डूबने से कोई नहीं बचा सकता क्योंकि इतिहास गवाह है जो राष्ट्र अपनी संस्कृति को बचा नहीं सका वह खुद ही समाप्त हो गया। पर भारत के साथ ऐसा नहीं होगा क्योंकि सनातन संस्कृति अनादि काल से चलती आ रही है, आज भी चल रही है और आगे भी चलती रहेगी।

           इस आधुनिकता युग में युवाओं को सही राह दिखाने कदम आज भी यह संस्कृति रखती है, वैलेंटाइन डे के वायरस को खत्म करने के लिए एक महापुरुष ने एक बढ़िया सा तोड़ निकाला है, और उसे नाम दिया "मातृ पितृ पूजन दिवस"।

           इसके पीछे बहुत लंबी कहानी है जो है भगवान गणेश, कार्तिकेय,भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती की।
एक बार भगवान गणेश और उनके बंधु कार्तिकेय में विवाद होने लगा कि कौन सर्वश्रेष्ठ है, तभी वहां नारद जी आए और उन्होंने कहा की यह विवाद क्यों हो रहा है। तब कार्तिकेय ने कहा कि हम दोनों में से श्रेष्ठ कौन है? तो नारद जी बोले कि आप दोनों ही श्रेष्ठ हो क्योंकि आप मां पार्वती और भोलेनाथ के पुत्र हो, इस पर कार्तिकेय संतुष्ट ना हो पाए तो नारद जी ने कहा की चलो काम करते हैं हम आप दोनों के बीच एक स्पर्धा का आयोजन कराते हैं, आप दोनों में से जो भी पृथ्वी के साथ चक्कर लगाकर सर्वप्रथम वापस आएगा वही आप दोनों में से सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा। दोनों यह बात स्वीकार कर लेते हैं और तैयार हो जाते हैं इस पृथ्वी के सात चक्कर लगाने के लिए।भगवान कार्तिकेय अपने बाहर मोर पर सवार होकर निकल पड़ते हैं, पर गणेश जी मन ही मन विचार करते हैं कि मैं मेरे मूषक को लेकर कार्तिकेय से पहले तो यह स्पर्धा पूरी नहीं कर सकता। तभी गणेश जी के मन में एक विचार आता है, भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती के पास जाते हैं और उन्हें बैठने का आग्रह करते हैं और उसके बाद वह मां पार्वती और भोलेनाथ के ही सात चक्कर लगा देते हैं, इस पर भोलेनाथ कहते हैं ,यह क्या कर रहे हो? इस पर गणेशजी कहते हैं ,कि इस पृथ्वी के साथ चक्कर लगा रहा हूं। क्योंकि सारा विश्व मेरे माता पिता के चरणों में है, तो मैं इतनी दूर क्यों जाऊं? इसके बाद कार्तिकेय वापस आते हैं और पूछते हैं की विजेता कौन रहा? तो इस पर भोलेनाथ कहते हैं इस प्रतियोगिता का विजेता गणेश है क्योंकि उसने सबसे पहले पृथ्वी के साथ चक्कर पूर्ण कर लिया है।
कहानी तो लंबी है, पर इसका उद्देश्य समझ लो कि सारा ब्रह्मांड आप के मां बाप के चरणों में है।

            मातृ पितृ पूजन दिवस (parent's worship day) के बारे में बताएं तो इस दिन बच्चे अपने मां बाप की पूजा करते हैं जैसे गणेश जी ने कि थी। तुम्हें चाहूंगा कि देश का हर बच्चा इस मातृ पितृ पूजन दिवस को मनाए, और यह एक तरह से मां बाप से बच्चों का प्यार का इजहार ही होगा । क्योंकि प्रेम तो पवित्र होता है...........

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