#nature #vrindavanproduction #birdresearch
लॉकडाउन के समय में हम सब जान चुके हे की एक जगह केद रेहेने से कैसा महसूस होता है, जैसे जिदगी के सी गई हो। पर जिन पंछियोंको हम सालो-साल पिंजरेमें कैद करके रखते है उन्हें कैसा महसूस होता होगा।
आज कल हमारे घर के आस पास पंछी क्यों नहीं आते,कभी विचार किया है? क्यूंकि आज हमारे घरको आँगन ही नहीं रहे ना ही पेड़-पौधे |
तब ऐसे घरोंके लोग अपने मनोरंजन के लिए पंछियों को पिंजरे में कैद कर घरमे रखते है।
पंछी हमारे मनोरंजन का साधन नहीं हो सकते अगर आपको पछियोसे इतना ही लगाव हे तो अपने घरके आंगन में पछियोंके लिए रोज अनाज डालिए और ठन्डे पानी का इंतजाम कीजिये फिर देखिये हररोज पंछी कैसे आपके आँगन की रोनक बढ़ाएंगे।
लॉकडाउन के समय में हम सब जान चुके हे की एक जगह केद रेहेने से कैसा महसूस होता है, जैसे जिदगी के सी गई हो। पर जिन पंछियोंको हम सालो-साल पिंजरेमें कैद करके रखते है उन्हें कैसा महसूस होता होगा।
आज कल हमारे घर के आस पास पंछी क्यों नहीं आते,कभी विचार किया है? क्यूंकि आज हमारे घरको आँगन ही नहीं रहे ना ही पेड़-पौधे |
तब ऐसे घरोंके लोग अपने मनोरंजन के लिए पंछियों को पिंजरे में कैद कर घरमे रखते है।
पंछी हमारे मनोरंजन का साधन नहीं हो सकते अगर आपको पछियोसे इतना ही लगाव हे तो अपने घरके आंगन में पछियोंके लिए रोज अनाज डालिए और ठन्डे पानी का इंतजाम कीजिये फिर देखिये हररोज पंछी कैसे आपके आँगन की रोनक बढ़ाएंगे।
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