क्या भारत के संविधान में सेक्युलर शब्द पहेले से मोजूद था ? क्या भारत में हर एक नागरिक को सेक्युलर होना जरुरी है ?
भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता शब्द की बजाय पंथनिरपेक्ष शब्द का प्रयोग 1976 में 42वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया गया है। संविधान के अधीन भारत एक पंथनिरपेक्ष राज्य हैं, ऐसा राज्य जो सभी धर्मों के प्रति तटस्थता और निष्पक्षता का भाव रखता है।
"भारतीय संविधान के प्रस्तावना में
घोषणा के अनुसार भारत एक पंथनिरपेक्ष देश हैI"
धर्म और पंथ
में क्या अंतर है? इस बात की जड़ में जायेंगे तो बात बोहोत लम्बी खीच जाएगी, तो शॉर्ट में समझे तो धर्म वो होता
है जो धारण करने योग्य हो या जिसका निर्वाहन किया जा सके, और पंथ आप कह सकते है मार्गI
बोहोत से लोग कहते है की हम कीसी धर्म
में नहीं मानते, हम सेकुलरिज्म में विश्वास रखते हैI पर क्या आप ये जानते है की सेक्युलर शब्द संविधान में है किसके लिए? ये नागारिकोंके लिए न होकर सरकार के लिए
है की वो सेक्युलर / पंथनिरपेक्ष होकर कार्य करेI और वैसे भी धर्म तो केवल एक ही है वो है "सनातन" बाकि सब पंथ हैI
अब भारत एक
सेक्युलर देश है मतलब की सरकार का ये कर्त्तव्य है की सरकार किसीभी धार्मिक आधारपर
नगरिकोंसे भेदभाव नहीं करेगी, चाहे फिर वो कोई भी कानून या योजना ही
क्यूँ न हो वो सभी नागरिकोंपर सामान रूप से लागु की जाएगीI
पर क्या सचमें
भारत में सभी पंथ / मजहब के लिए सामान कानून है?
ये बात किसी
और ब्लॉगमें, ब्लॉगको पढने और शेयर करने के लिए
धन्यवाद !!
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