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How to create a poster from simple image | Using PicsArt | creativity 2020

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हर दिन सावन!!

हवाओ में भी महक है, जिसमे खींचे चले जाये, बागो में यौवन सी है, मन मचला सा जाये, सुन्दरता तेरी इतनी है, चंदा भी शरमा जाये, आया ऐसा दिन आज है, फिर न मिल न पाए, सावन के सुन्दर ये दिन, मन भर न पायें, छोड़ न जाना हमको कभी, हर दिन सावन आये, हर दिन सावन आये। #hindikavita #vrindavanproductions

Are your childhood memories false?

आपल्या आजूबाजूला लहान बाळं खेळताना बागडताना पाहिली किंवा आपल्याच घरात जर लहान मूल असेल तर आपण त्यांच्याबरोबर पुन्हा आपलं बालपण जगून घेतो. त्यांचे सुंदर निरागस भाव आणि बोबडे बोल ऐकून आपण सुद्धा आपल्या बालपणाच्या सुंदर आठवणींत रमून जातो आणि “बालपण देगा देवा” अशी इच्छा करू लागतो. बालपणी कसे सगळे आपले लाड करायचे, आपले हट्ट पूर्ण करायचे, आजोबा फिरायला न्यायचे, आजी सुंदर गोष्टी सांगायची, काका/मामा खाऊ आणायचे.. मावशी/आत्या लाड, कौतुक करायची, आई मायेने जेवू घालायची, बाबा खांद्यावर बसवून नव्या नव्या गोष्टी शिकवायचे अश्या आठवणी प्रत्येकाच्याच मनात साठवून ठेवलेल्या असतात. तीन वर्षांपर्यंतच्या ह्या आठवणी अगदी स्पष्ट आठवत नसल्या तरी त्या धूसर धूसर आठवत असतात व ह्याच आठवणी आपल्याला परत बालपणाची सैर करवून आणतात. पण आता काही शास्त्रज्ञांनी मात्र आपल्या ह्या आनंदाला सुरुंग लावला आहे. त्यांच्या मते आपल्या तीन वर्षांचे होईपर्यंतच्या सगळ्या आठवणी ह्या खोट्या किंवा काल्पनिक असतात. ह्या आठवणी मोठ्यांनी सांगितलेले आपल्या बालपणीचे प्रसंग, थोडीशी धूसर आठवण व आपले बालपणीचे फोटो ह्यावरून तयार झालेल्

Don't capture birds....

#nature #vrindavanproduction #birdresearch लॉकडाउन के समय में हम सब जान चुके हे की एक जगह केद रेहेने से कैसा महसूस होता है, जैसे जिदगी के सी गई हो। पर जिन पंछियोंको हम सालो-साल पिंजरेमें कैद करके रखते है उन्हें कैसा महसूस होता होगा। आज कल हमारे घर के आस पास पंछी क्यों नहीं आते,कभी विचार किया है? क्यूंकि आज हमारे घरको आँगन ही नहीं रहे ना ही पेड़-पौधे | तब ऐसे घरोंके लोग अपने मनोरंजन के लिए पंछियों को पिंजरे में कैद कर घरमे रखते है। पंछी हमारे मनोरंजन का साधन नहीं हो सकते अगर आपको पछियोसे इतना ही लगाव हे तो अपने घरके आंगन में पछियोंके लिए रोज अनाज डालिए और ठन्डे पानी का इंतजाम कीजिये फिर देखिये हररोज पंछी कैसे आपके आँगन की रोनक बढ़ाएंगे।

बचपन की बारिश

चाहे बदलेमे लेलो ये सारी जिंदगी, बस एक बचपन कि बारिश लौटा दो। कहा रही वो खुशी जिंदगी में अब जो एक जमाने में हुआ करती थी, जब हम भी हुआ करते थे अमीर और मेरी जहाजे तैरा करती थी, अब अमीरी तो खूब है जिंदगी में पर खुशी का नामो निशान नहीं, छूट गई है जिंदगी बोहोत पीछे इन बड़े बड़े सपनों मे कहीं, अब कोई एक जीने की ख्वाहिश लौटा दो, चाहे बदलेमे लेलो ये सारी जिंदगी बस एक बचपन कि बारिश लौटा दो।                                   -D kumar #vrindavanproductions #hindipoems #hindishayari #vrindavanproductions #dkumar

ना आती तो अच्छा होता.....

क्यों आयी तुम जिंदगी में ,ना आती तो अच्छा होता। पहली बार तेरा मुझे और मेरा तुझे देखना , सावन की बारिश में वो कलियोंका मेहेकना, तेरा मासूम सी आंखें देखकर मेरा रुक जाना , मेरे घर तक तेरा मेरे पीछे पीछे आना , फिर पता चला तू तो नई पड़ोसी हो मेरी , अब हर रोज होगी मुलाकात मेरी और तेरी , फिर सोचा मेंने एक बार देख ही लूं , पर निकम्मी दीवार बिचमे ना होती तो अच्छा होता , क्यों आयी तुम जिंदगी में ना अाती तो अच्छा होता। अब तक मेंने तेरा चेहरा देखा ना था , ना तूने मुझे पहेचाना था , पर मिलाना तकदीर को था हमें एक दुजेसे , तो इंताम उसने कॉलेज का किया था , फिर पता चला तुझे है मैथ और बायो दोनों से प्यार , इसलिए मेंने भी लटका ली अपने सर पे बायो की तलवार , फिर मेंने सोचा चलो तुम तो साथ हो , पर निकम्मी डिवीजन अलग ना होती तो अच्छा होता , क्यों आयी तुम जिंदगी में ,ना अाती तो अच्छा होता।

बेरंग

जगह रंग ही रंग है, पर मेरी ये होली तेरे बिना बेरंग है। कहीं उड़ेगा रंग तो कहीं पानी बरसेगा, पर आज भी मेरा ये दिल तेरी याद में तरसेगा, जानता हूं तुम आ नहीं सकती, क्योंकि बहुत सी मजबूरियां तेरे संग है, पर मेरी ये  होली तेरे बिना बेरंग है। आज फिर से बहुत से बहाने बनाने पड़ेंगे मुझको, और शायद कई लोगों के फोन भी काटने पड़ेंगे मुझको, क्योंकि मेरी हर खुशी और सारे रंग सिर्फ तेरे संग है, पर मेरी ये होली तेरे बिना बेरंग है। वो दिन भी याद आता है मुझे , जब हमने साथ होली मनाई थी, और तूने अपने हाथों की छाप , मेरे कपड़ों पर लगाई थी, आज भी मेरे दिल के कोने में बसे बस वही रंग है, और मेरी ये होली तेरे बिना बेरंग है। मानता हूं तू दूर है मुझसे , पर है कहीं यही आस पास, तो क्या हुआ तुम इस होली साथ नहीं, पर कभी तो होगी मुलाकात, तब तक लड़नी मुझे अकेले ही ये जंग है, और मेरी ये होली तेरे बिना बेरंग है।

Must to read

मातृ पितृ पूजन दिवस/parent's worship day (१४ फरवरी)         देश में रहते हैं उसी की बात करूंगा, भारत में रहता हूं भारत की बात करूंगा।         प्राचीन काल से हमारे देश में सनातन संस्कृति की धारा निरंतर बहती आ रही है, जिससे हमें संस्कार और एक बेहतर जीवन की प्राप्ति होती है। जैसे-जैसे हम आधुनिकता के दौर में आगे बढ़ रहे हैं वैसे वैसे हम हमारी सनातन संस्कृति एवं संस्कारों को पीछे छोड़ रहे हैं , और इसी कारण आज का मनुष्य सुखी एवं समाधानी नहीं है।         ऐसा नहीं है कि संस्कार देने वाले या संस्कार लेने वाले समाप्त हो गए हो ,आज भी ऐसे लोग हैं जो हमारे बच्चों को और हमें अच्छे संस्कार देते हैं। आप अपने बच्चों को बचपन में कैसे संस्कार देते हैं उसके ऊपर निर्भर करता है कि वह बड़ा होकर कैसा बनेगा, इसीलिए तो कहते हैं कि बच्चों का भविष्य मां-बाप के हाथों में होता है।          जैसे अगर देश में कोई वायरस फैल जाए, कोई बीमारी फैल जाए तो वह देश को बर्बाद करके छोड़ देती है वैसे ही अगर देश में कोई बुरा विचार फैल जाए तो वह भी देश को बर्बाद करके छोड़ता है। इस देश में इतने अपराध क्यों बढ़ गए पता